Saturday 21 November 2015

बंजारा समाज व त्याचा इतिहास

बंजारा गोत्र आणि त्यांची संख्या

चव्हाण- ०६ आणि निसर्गात रुतुची संख्या ०६

पवार- १२ आणि
वर्षाचे महिने १२

राठोड- २७ आणि
वर्षामध्ये २७ नक्षत्र जाधव- ५२ आणि वर्षाचे ५२ आठवडे

आडे- ०७ आणि
वर्षामध्ये फक्त ०७ वार[दिवस]

यावरुन बंजारा समाज किती निसर्गप्रियआहे हे दिसते. या गोत्रांचा अभ्यास होणे गरजेचे आह बंजारा समाज हा विविध जागेवर पसरलेला समाज आहे बंजारा समाजाचा उल्लेख हा अतिप्रचिन असून समाज प्रेरित आहे बंजारा समाजात विविध रूढी,परंपरा ,सन,उत्सव पाहायला मिळतात ह्या समाजात गोर, लमानि,लाभानि,लंबाड़ा बंजारा आदि गोत्र आहेत .हां बंजारा समाज गाय पूजक असल्यामुळे या समाजाला गोर ऎसे म्हटले जाते
बंजारा हा समाज लमानी, लम्बाडि ,बंजारा लमानी,अशा विविध नावानी ओळखल्या जातो

बाकीची माहिती हिंदीमध्ये

भारत की सबसे सभ्य और प्राचीन संस्कृती सिंधु संस्कृती को माना गया है। इसी संस्कृती से जुड़ी हुई गोर- बंजारा संस्कृती है और इस गोर बंजारा समाज का  वास्तव पुरी दुनियाभर में है और उन्हें अलग अलग प्रांत में अलग अलग नाम से जाना जाता है। जैसे महाराष्ट्र मे बंजारा, कर्नाटक में लमाणी, आंध्र में लंबाडा पंजाब में बाजीगर, उत्तर प्रदेश में नायक समाज और बाहरी दुनिया में राणी नाम से जाने जाते है। इस समाज के इ.स.पुर्व काल में बौद्ध और महावीर के भी पहले पीठागौर नाम के गौरधर्म के संस्थापक हुए है। इसके बाद ग्यारवी शताब्दी में दागुरु नामके द्वितीय धर्मगुरु होके गये है। द्वितीय धर्मगुरु ने शिक्षा का महत्व और मंत्र और समाज को दिया। वो मंत्र गोरबोली में शिकच शिकावच शिके राज धडावच, शिके जेरी साजपोळी, घीयानपोळी, इसका मतलब जो समाज शिक्षा प्राप्त करके अपने समाज को शिक्षीत करता है। वहीं समाज राज वैभव प्राप्त कर सकता है इसका उदा. पीठागौरने चंद्रगुप्त मौर्य, हर्षवर्धन जैसे महान विराट राजा को जन्म दिया। उसी तरह दागुरु के विचारों ने आला उदल, राजा गोपीचंद जैसे महान योद्धा वो को निर्मीत किया। इसी 12 वीं शताब्दी से लेकर 17 वी शताब्दी तक गौर बंजारा समान में बड़े बड़े योद्धा होके गये। जैसे महाराणा प्रताप के सेनापती जयमल फंतीहा और राजा रतनसिंग के सर सेनापती और राणी रुपमती के सगे भाई गोर बंजारा गौरा बादल। 16 वी और 17 वी शताब्दी के गौर बंजारा समाज के महान व्यापारी, उत्तर में लकीशों बणजारा और दक्षिण में जंगी, भंगी (भुकीया) और मध्यभारत के भगवानदारस वडतीया थे। ये सभी व्यापारी भारत के बड़े राजा-महाराजाओं को रसद (अनाज) पहुंचाने का काम करते थे। लेकिन आम जनता की फिकर इस गौर बंजारा समाज के संत सेवालाल महाराज को थी, इसलिए उन्होंने आम जनता की सेवा और भलाई के लिए अपने विचारों का संघटन निर्माण किया और उनका नेतृत्व भी किया, उसी महान सतगुरु, समाजसुधारक, क्रांतीकारी, अर्थतज्ञ, आयुर्वेदाचारी और बहुजनों के (कोर-गोर) के धर्मगुरु संत सेवालाल का जन्म 15 फरवरी 1739 को आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले के गुथ्थी तालुकास्थित गोलाल डोडी गांव में हुआ। अभी वो गांव सेवागड के नाम से जाना जाता है। भौगोलीक और ऐतिहासिक जानकारी होने के कारण गोर बंजारा समाज का वास्तव्य प्रदेश की सीमाओं पे ज्यादातर होता था इस स्थिथीयों का फायदा उन्हें व्यापार में मिलता था और संघटन की दृष्टी से भी लाभदायक था इसी बात से उनके दुरदृष्टीका अंदाज होता है। सेवालाल के पिताजी रामजी नायक के सुपुत्र भिमा नायक बहुत बड़े व्यापारी थे। उन्हें लगभग भारतीय सभी भाषाओं का ज्ञान था। उनकी कुल संपत्ती में 4000 से 5000 तक गाय और बैलों का समावेश था। जिसका उपयोग अनाज की यातायात के लिए किया जाता था और वो 52 तांडों के (गांव) के नायक थे। उन्हें नायकडा कहा जाता था (1 गांव का नायक और 52 गांव के नायकडा) एक गांव (तांडे की) की आबादी लगभग 500 के आसपास होती थी। हर तांडे के लिये एक पुरुष और एक स्त्री गोर धर्म प्रचारक के रुप में काम करते थे, उन्हें बावन्न (52) भेरु (पुरुष) और 64 जोगंणी (स्त्री) कहते थे। इन 52 भेरु और 64 जोगणी का एक संघ होता था। और ये मुख्य नायकडा के अंतर्गत कायम करते थे। इसीलिए संत सेवालाल के दादाजी को रामसंघ नायक कहते थे। (52 तांडो का संघप्रमुख) भिमा नायक भी 52 तांडों के संघप्रमुख थे। ऐतिहासिक दस्तावेज से पता चला है की, भिमा नायक ने अंग्रेजों के साथ मुल्य 2 लाख रु. का व्यापारी करार किया था। (अनाज पहुचाने का करार) इस बात से साफ पता चलाता है की, सेवालाल का जन्म वैभव सपन्न घर में हुआ था। इसके अलावा उनके जन्म को लेकर काफी सारी मिथ्या कहानियाँ सुनने में आती है। सेवालाल की माँ का नाम धरमणी था जो कि जयराम बड़तीया (सुवर्ण कप्पा, कर्नाटक) की सुपुत्री थी। भिमा नायक के विवाह के उपरांत लगभग 12 साल तक उन्हें कोई संतान नहीं थी बाद में मरीया माँ के आराधना के बाद संत सेवालाल का जन्म हुआ ऐसी अस्था है। संघ के पारंपारिक निती के नुसार स्वरक्षा और अनाज की रक्षा के लिए यौद्धाओं की निर्मीती की जाती थी। उसी को ध्यान में रखते हुए सेवालाल ने 7 संघटनायकों का एक संघटन बनाया जिसमें खुद सेवालाल, उनके तीन भाई, हापा बदु, पुरा और धर्मी, ढाका, रामसंग साथ भीया थे। इसी संघटन को बाद में 6 संघ नायकों ने अपनाया। इस तरह 13 लोगों का एक महासंघ बना? जो 700 तांडो का नेतृत्व करता था जिसमें मध्यभारत, दक्षिणभारत का समावेश था। मध्यभारत के व्यापारी भगवानदारस वडतीया कुलसंपत्ती 2 लाख बैल) और दक्षिभारत के व्यापारी जंगी, भंगी भुकीया (कुलसंपत्ती 2 लाख बैल) सेवालाल के संघ में समाविष्ट हुए। 17 वी शताब्दी की राजकीय स्थिती के अनुसार हम यह कह सकते है,की, अंग्रेजी सत्ता का प्रभाव और ताकत दिन ब दिन बढ़ता जा रहा था और भारतीय राजाओं की व्यवस्था कमजोर होती जा रही थी। अंग्रेजी हुकूमत का गोर बंजारा व्यापारी पर राजाओं को रसद पहुंचाने के खिलाफ दबाव बढ़ते जा रहा था। और अंग्रेज प्रभावित इलाकों में गोर निकाले जा रहे थे जो की, गोर बंजारा के व्यापारी नियमों के खिलाफ था।इस कर वसुली के खिलाफ प्रस्ताव लेकर सेवालाल अपने सभी संघ नायकों के साथ निजाम से मिलने गये। अंग्रेजी हुकूमत के डर से निजाम ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया इसके मद्देनजर सेवालाल ने निजाम के से मिलने गये। अंग्रेजी हुकूमत के डर से निजाम ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया इसके मद्देनजर सेवालाल ने निजाम के विरुद्ध युद्ध का ऐलान किया। फिर (बंजारा हिल) हैद्राबाद में युद्ध हुआ और परिणामस्वरुप निजाम ने सेवालाल की सभी शर्ते मंजुर की और भारत के अन्य राज्यों के करप्रणाली के लिए दिल्ली के बादशाह गुलाम खान को मिलने की सलाह दी। सेवालाल ने निजाम की सलाह मान ली और निजाम की ओर से दिये हुए सम्मान को स्वीकार किया। सम्मान के तौर पर निजाम ने ताम्रपत्र, तलवार और भेटवस्तू दी। पोहरागढ मंदिर (महाराष्ट्र राज्य) में आज भी ये भेटवस्तुयाँ मौजूद है। दिल्ली के बादशाह गुलाम खान ने इस प्रस्ताव को नामंजुर किया, परिणाम स्वरुप सेवालाल ने युद्ध का ऐलान कीया, गुलाम खान के 25000 सैनिकों का मुकाबला सेवालाल के 900 यौद्धाओं ने किया। गुलाम खान की भारी हार हुई इतिहासकारों ने इस युद्ध का जिक्र कभी नहीं किया। गुलाम खान ने करप्रणाली को माफ करने को मंजुर किया। व्यापार दृष्टीकोन से सेवालाल की ये बहुत बड़ी राजनैतिक जीत थी। इस जीत के चलते सेवालाल का नाम पुरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध हुआ। लाहोर के गौरबंजारा (ट्रेडर्स) ने सेवालाल को सम्मानित किया। जयपुर (राजस्थान) के बंजारा व्यापारी और बहुजन लोगों की पुकार पर सेवालाल ने भुमिया नामक दहशतग्रस्त का शिरच्छेद किया और राजस्थानवासियों को भुमिया से मुक्ती दिलाई। आज भी इसी निशानी के तौरपर जयपुर में सवाई मानसिंग हॉस्पीटल में सेवालाल का मंदीर है। दिल्लीस्थित रायसिना हिल लकीशों बंजारा ने सेवालाल के स्वागत में बनाई हुई छत्री नेहरु प्लॅनिटोरियम, नई दिल्ली में मौजूद है। इसी तरह मुंबई के पास सेवानामक गांव में जहापर अभी जवाहरलाल नेहरु पोर्ट ट्रस्ट है वहां पर 17 वीं शताब्दी में सेवालाल पोर्ट हुआ करता था। वैसे ही धरमतर (सेवालाल के सहयोगी) नाम का पोर्ट रायगड जिल्हे में पेण के पास मौजुद है। उसी तरह मुंबई स्थित भाऊचा भी ना होते हुए वो सेवाभाया का धक्का है। इस जगह पर पोर्तुगीज का जहाज फस गया था उसे मोतीयों की माला (इटालियन पर्ल्स) दिया गया, इसी वजह से सेवालाल मोतीवाळो के नाम से भी जाने जाते है। रायगड जिल्हे में पेण के पास गागोदे नामक गांव में सेवालाल का व्यापारी केंद्र था वहां पर आज भी उनके नाम का मंदीर मौजूद है। सेवालाल बहुत बड़े व्यापारी, यौद्धा, संगटक, अर्थतज्ञ तो थे ही लेकिन उसके साथ वे बहुत बड़े समाजसुधारक थे। सेवालाल की ताकत और ग्यान का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो भविष्यवाणीयां सेवालालने भारत की सामाजिक और आर्थिक और नैसर्गित स्थिती को लेकर कहीं थी वो सब बाते आज 250 साल बाद सच हो रही है।: कुछ वर्षो में विलुप्त हो जायेगी बंजारा संस्कृति - बंजारा समाज अपनी संस्कृति ,,अपना समाज ,,अपनी बस्ती ,,,भाषा और पहनावे को सुरक्षित संरक्षित करने के लिए शीघ्र ही राष्ट्रव्यापी अभियान चलाएगा ,,,यह निर्णय किनवट में आयोजित बंजारा समाज समाज के गोर सेना के प्रतिनिधियों की एक आपात बैठक में लिया गया ,,,,, गोर सेना के राष्ट्रिय अध्यक्ष संदेश चव्हाण ने बताया के बंजारा समाज राजस्थान की संस्कृति में जन्मा ,,पला ,,बढ़ा है लेकिन राजस्थान की सरकारों की दोहरी नीतियों के चलते बंजारा समाज अपने की बैठक में राजस्थान में लगातार बंजारों पर हो रहे हमलों की घटना पर रोष जताते हुए सरकार के खिलाफ निंदा करते काहा कि ,,,,,,भारत देश के गोर सीकवाडी के विलास ने इस घटना पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा के बंजारा समाज को राष्ट्रिय स्तर पर एक होने की ज़रूरत राष्ट्रिय स्तर पर एक होने की ज़रूरत है उन्होंने कहा के देश में बंजारों की भाषा लुप्त हो रही है ,,संस्कृति ,,पहनावा लुप्त हो रहा है और इस समाज को संरक्षित सुरक्षित करने के लिए सरकारों की कोई योजना नहीं है उन्होंने कहा की जबकि वहां बंजारा समाज निगम की की स्थापना कर बंजारा संस्कृति के संरक्षण का प्रयास किया गया लेकिन भाजपा के लोगों में बंजारों के पक्ष में कोई विज़न नहीं है सिर्फ वोट मांगने के लिए करते है.
सध्याची स्थिति
“बंजारा समाजाचे विद्यार्थी शिक्षण क्षेत्रात होत आहेत अव्वल” - मित्र हो जय सेवालाल👏 एकेकाळी बंजारा तांड्यातील विद्यार्थी 10 वी किंवा 12 वीला फक्त पास झाले तरी खुप खुश असायचे.पण आजकाल अस झाले कि मुलांना खरोखर शिक्षण मिळायला सुरुवात झाली आहे.भलेही शिक्षणाला खुप खर्च वाढलये गरीब विद्यार्थ्यांना चांगल्या शाळेत प्रवेशासाठी झगडावे लागते पण तो विद्यार्थी त्या चांगल्या शाळेत प्रवेश घेउन चांगल्या प्रकारे मार्क मिळऊन पास होतोय हि चांगली गोष्ट आहे.मित्र हो आपल्याला माहित आहे कि सरकारी नौकरी मिळत नाही तर समोरच भवीष्य काय असायला पाहिजे आणि कशा प्रकारे व कोनते शिक्षण शिकायला पाहिजे.ते आपण चांगल्या मार्गदर्शन करनाऱ्या बाधवांशी सल्ला घेऊन समोरील वाटचालीला सुरवात करावी.पालकांना कळकळची विनंती आहे आपण आपल्या मुलानां चांगल्या प्रकारे मार्गदर्शन करनाऱ्या बाधवांशी सल्ला घेऊन समोरील वाटचालीला सुरवात करावी.पालकांना कळकळची विनंती आहे आपण आपल्या मुलानां चांगल्या प्रकारे मार्गदर्श करावे व त्यांना आय टी क्षेत्रात प्रवेश करावे आणि आपल्याला भविष्यात कुठेही नौकरी मिळेल,Polytechnic,ITI,mechanical,b.pharm,d.pharm,mbbs,md,dm,be,ca,mca,bca, अस्या प्रकारचे क्षेत्र निवडावेत व आपल्या पुढिल भविष्यात गरजु विद्यार्थ्यांना मार्गदर्शन करावे.कारण मार्गदर्शक विना भविष्य नाही.आपल्या तांड्यातील सर्व पालक व विद्यार्थ्यांचा मनोबल वाढेल ते क्षेत्र निवडुन शिक्षण घ्यावे.बंजारा समाजाच्या तांड्या मध्ये सर्वात हुशार मुले आहेत पण त्यांना चांगले मार्गदर्शक मिळाले नाही म्हणुन ते आज बेकारीचे दिवस काढत आहे .मित्र हो चांगल्या गोष्टी आपल्याला माहित असेलतर बिंधास्त पणे समोरून जाऊन त्या गरीब विद्यार्थ्यांना सांगावे व त्याना सरळ रस्ता कुठला व अवघड रस्ता कुठला आहे ते सांगावे..कारण 10वी पास होणारा मुलगा खुपच समजदार असेल तस नाही ते पास होण्याच्या धुंदीत स्वताच्या भविष्याची हडबडुन जाऊन क्षेत्र निवडतात.व समोरील भविष्य त्यांचा समोर न जाता कुठेतरी अडकळतो तस न होता.त्यांना न हडबडता क्षेत्र निवडायला �
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द्रोणाचार्य पुरस्कार 2015

द्रोणाचार्य पुरस्काराचे स्वरूप कसे असते आणि कोण कोण याचे मानकरी ठरले.

मुलाखत कश्याप्रकारे घेतली जाते व कसे प्रश्न विचारले जातात व तयारी कशी करावी

मुलाखत म्हणजे काय
एका व्यक्तिने दुसऱ्या व्यक्तीचे मनोगत जाणण्यासाठी विचारलेले प्रश्न म्हणजेही मुलाखत होय. तसेच अधिकारी वर्गाने पदावर नेमण्याआधी योग्यता तपासण्यासाठी घेतलेली प्रश्नोत्तरे म्हणजेही मुलाखत होय. प्रशिक्षित मुलाखतकार नेमले प्रश्न विचारुन व निरिक्षणे करून व्यक्तिमत्त्वाचे अनेकानेक पैलू लक्षात घेत असतात. चारचौघांमध्ये मिसळून ज्याला संवाद साधता येतो तो व्यक्ती सहजपणे मुलाखत देऊ शकतो.

मुलाखतीसाठी महत्वाचे काय आहे

हुशारी
चणाक्षपणा
इतरांबरोबर मिसळण्याची वृत्ती
सकारात्मक विचार

या बाबी तपासल्या जातात. नेमलेल्याला कामाचे अधिकारपद देण्यापूर्वी उमेदवार ती भूमिका बजावण्यास लायक आहे की नाही हे जाणून घेतले जाते. बौद्धीक, मानसिक आणि कौशल्यवृद्धीची आवड मुलाखतीत दिसून आल्यास निवडीची शक्यता असते.

स्वरूप
मुलाखत देतांना आपला नैसर्गिक स्वभाव जसा आहे तसेच वर्तन केलेले योग्य असते. या मुळे मुलाखतही सहजतेने होते. म्हणूनच आपला नैसर्गिक स्वभाव न दाबता जे उमेदवार मुलाखतीस सामोरे जातात त्यांना निकालाची कधीच काळजी नसते. मुलाखतीत बहुदा स्वतःबद्दल बोलावे लागते. त्यासाठी उत्तम आत्मविश्वास असावा लागतो. आपण कोणकोणत्या विषयात आणि कौशल्यांमध्ये पारंगत आहोत हे व्यवस्थित जाणणे आवश्यक असते. त्यासाठी योग्य ते चिंतन आणि मनन करणे आवश्यक आहे. उमेदवाराला ज्या कामासाठी अर्ज केला आहे त्या क्षेत्रात आपण कसे योग्य आहोत हे पटवून देता आले पाहिजे. मुलाखतीत संभ्रमीत करणारे प्रश्न येऊ शकतात. कोणत्याही प्रश्नांचे उत्तरे किती शांतपणे आणि विचारपुर्वक देतो त्यावर उमेदवाराची हुशारी दिसून येते. उमेदवाराचा स्वभाव आणि एकंदरीत वागण्याची पद्धत यांचे निरिक्षण मुलाखत घेणारा करत असतो. उमेदवाराची कठीण परिक्षा घेण्यापेक्षा रिक्त जागेकरिता सर्वात चांगला उमेदवार निवडण्याची जबाबदारी मुलाखतकर्त्यावर असते. म्हणून त्या जागेकरिता 'मीच कसा योग्य आणि उपयुक्त आहे' हे कळत नकळतपणे मुलाखत देणाऱ्याने दखावून द्यायचे असते.

मुलाखतीमध्ये यश मिळवण्यासाठी तंत्र
1-स्वतःबद्दल सांगण्याची तयारी आरशासमोर करा. हे वारंवार करून त्यात नैसर्गिकता आणा
2-हसरा चेहरा महत्त्वाचा असतो. चेहऱ्यावर प्रसन्नता असू द्या. हसऱ्या चेहऱ्याची सवय करा.
3-योग्य व्यावसायीक पेहराव तुम्हाला उठाव देणारा असावा. योग्य कोट व टाय असल्यास चांगले परिणाम साधले जातात. काळी विजार व पांढरा शर्ट असल्यास उत्तम अथवा निळसर, करडे कपडे चालतात.
4-ही मुलाखत माझ्यासाठीच आहे आणि मी त्यात यशस्वी होणारच आहे असाच विचार करा.
5-मुलाखतीच्या ठिकाणी जाणवणाऱ्या गंभीर
वातावरणात भांबावून जाऊ नका. आपण निवांत राहण्याचा प्रयत्न करा. त्यासाठी संथ श्वसन करा ताण कमी होईल.
6-तुमच्या अवगत कौशल्यांबाबत सांगताना उत्साहाने त्या मध्ये केलेले कार्य सांगा.उदाहरणे द्या.
7-मुलाखतीत असत्य कधीही बोलू नका.
8-मुलाखतीत घाई गडबड न करता शांत
चित्ताने प्रश्नांची उत्तरे द्या.
9-प्रश्न न समजल्यास विनयाने परत विचारा यात काही चुकीचे नाही.
10-मुलाखतकर्त्याच्या अपेक्षांची जास्तीत जास्त पूर्तता करता येईल याची काळजी घ्या.
11-मुलाखती नंतर विनम्रतेने आभार माना.

व्यावसायिक मुलाखतीत बसणे, बोलण्याची पद्धत, शिष्टाचार, निटनेटकेपणा आणि प्रथमदर्शनी प्रभाव यांचा विशेष भाग असतो हे लक्षात घ्या. स्पर्धात्मक युगात इतरांपेक्षा सरस ठरण्याकरिता स्वतःचे वेगळेपण आणि विशिष्ट चमक दिसणे अत्यंत महत्त्वाचे आहे. स्वतःचा बायोडाटा किंवा करिक्युलम व्हिटे वेळोवेळी वर्तमान करत राहणे गरजेचे असते.

मुलाखतीतले सामान्य प्रश्न्र
1-तुमच्याबद्द्ल काही सांगा?
(टेल मी समथींग अबाऊट युअरसेल्फ) या विशेष प्रश्नाकरीता बायोडाटा व्यतिरिक्त या नोकरीकरिता उपयुक्त असणारे स्वतबद्दलचं तुम्ही काय सांगू शकता, हे पाहिले जाते. या प्रश्नाची तयारी करण्यासाठी वारंवार याचे उत्तर देण्याची तयारी करा.
2-इथे का काम करायचे आहे? नेमकी कारणे द्या. त्यात अजून चांगला अनुभव आणि संस्थेसोबत स्वतःची प्रगती असेही सांगता येते.
3-पगाराची काय अपेक्षा आहे? - मोकळेपणाने अपेक्षा सांगा. येथे लाजू नका.
4-तुमच्या खुबी आणि तुमच्या कमतरता कोणत्या? - कोणतेही काम वेळेवर आणि परिपूर्ण करणे, कामाकडे कोणत्या? - कोणतेही काम वेळेवर आणि परिपूर्ण करणे, कामाकडे लक्ष देणे, नव नवीन गोष्ती शिकणे, कंपनीच्या पद्धतींचा अभ्यास करण्याची हातोटी असणे, साध्या भाषेत महत्त्वाच्या गोष्टी समजावता येणे, फोनवर सहजतेने बोलता येणे अशा गोष्टी तुम्ही सांगू शकता. कमतरता सांगू शकता. कमतरता सांगताना त्यातही चलाखीने खुबीच सांगा - जसे की, 'मला कोणतेही काम पूर्ण करायला आवडते त्यामुळे मला पर्फेक्शनिस्ट मानले जाते. अर्थातच मी कामाचा जरा ताण घेतो.'
5-अगोदरची नोकरी का सोडत आहात? - जे कारण आहे ते स्पष्टपणे द्या. वेळ कुणावरही आलेली असते.
6-संस्थेला किंवा कंपनीकरिता तुमचे योगदान काय असेल हे योग्यपणे सांगितले तर चांगले गुण प्राप्त होतात.
वरील मुद्द्यांचा उपयोग केंद्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी), महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग आदी परीक्षांमध्येही होऊ शकतो. अशा मुलाखतीमध्ये विद्यार्थ्यांच्या ज्ञानापेक्षा त्यांचे समकालीन वास्तव, त्यातील घडामोडी व कळीचे मुद्दे या विषयक दृष्टिकोन व भूमिका तपासली जाते. विद्यार्थ्यांला समकालीन बाबींची जाण व स्वतःची स्पष्ट भूमिकादेख खील असावी लागते. विद्यार्थी समन्यायी धर्मनिरपेक्ष, लोकशाहीवादी संतुलित विचार करणारा आहे किंवा नाही ते पाहिले जाते. अर्थात विद्यार्थ्यांची देहबोली, भाषा, संवादकौशल्य, विचारातील स्पष्टता, आत्मविश्वास या बाबी मुलाखतीत महत्त्वाच्या ठरतात. बोलण्याचा भरपूर सराव, गटचर्चा, अधिकाधिक मॉक इंटरव्ह्यूद्वारे मुलाखतीची तयारी करता येते.

Tuesday 17 November 2015

Apna naam internet explorer ke tasbar pe la sakte hai

Dosto windows me aise bahut saare.chhupe program hai jiska abhi tak kisiko kuch bhi pata nahi but aapko tension lene ki bilkul bhi jarurat nahi he qki aap liye hum haina hum aapko.karenge fully support
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